Basant 2025 का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया गया, लेकिन फिरोजपुर में इसकी अलग ही छटा देखने को मिली। पूरा शहर जश्न में डूबा था और आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से ऐसा सजा कि मानो इंद्रधनुष धरती पर उतर आया हो। यह नज़ारा न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि पर्यटकों के लिए भी बेहद रोमांचक रहा।
बसंत पंचमी: उल्लास और उमंग का त्योहार
बसंत पंचमी हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। इस दिन को ‘ऋतुओं का पर्व’ भी कहा जाता है क्योंकि यह बसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में इस पर्व का विशेष महत्व है।
फिरोजपुर में पतंगबाजी का क्रेज
फिरोजपुर में बसंत पंचमी के मौके पर पतंगबाजी का खास आयोजन किया गया। हर गली, हर मोहल्ले की छतों पर लोग पतंग उड़ाते हुए दिखे। छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, हर कोई इस पर्व का आनंद उठा रहा था। पतंगबाजी के दौरान “आई बोका”, “कट गया”, “धूम मचा दी” जैसी आवाज़ें माहौल में जोश भर रही थीं।
रंग-बिरंगी पतंगों से सजा आसमान
बसंत पंचमी के दिन फिरोजपुर का आसमान अनगिनत रंग-बिरंगी पतंगों से भर गया। पीली, लाल, नीली, हरी, गुलाबी—हर रंग की पतंगें हवा में लहराते हुए त्योहार की शोभा बढ़ा रही थीं। पतंग उड़ाने वालों में प्रतिस्पर्धा का जुनून था और हर कोई अपनी पतंग को सबसे ऊपर रखना चाहता था।
डीजे, ढोल और पकवानों की धूम
त्योहार में केवल पतंगबाजी ही नहीं, बल्कि संगीत, नृत्य और स्वादिष्ट पकवानों का भी खास आयोजन किया गया। कई जगहों पर डीजे और ढोल की धुन पर लोग भंगड़ा और गिद्दा करते नजर आए। वहीं, घरों में स्वादिष्ट मिठाइयों और पकवानों की खुशबू भी फैली हुई थी। तिल के लड्डू, गज्जक, रेवड़ी, मक्के दी रोटी और सरसों दा साग जैसे पारंपरिक व्यंजन लोगों के स्वाद को दोगुना कर रहे थे।
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बच्चों और युवाओं में दिखा खास उत्साह
फिरोजपुर में बच्चों और युवाओं के बीच बसंत पंचमी को लेकर खास उत्साह देखने को मिला। बच्चों ने छोटी-छोटी पतंगें उड़ाकर इस पर्व का आनंद लिया, तो वहीं युवा बड़ी-बड़ी पतंगों के साथ बाजी मारने की कोशिश में जुटे रहे।
सेफ्टी के लिए उठाए गए कदम
पतंगबाजी के दौरान कई बार दुर्घटनाएं हो जाती हैं, इसलिए प्रशासन ने इस बार विशेष सतर्कता बरती। मांझे की गुणवत्ता पर नियंत्रण रखा गया, ताकि दुर्घटनाओं को रोका जा सके। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की कि वे मेटल कोटेड और चाइनीज मांझे का उपयोग न करें।
पतंगबाजी का इतिहास और संस्कृति में महत्व
पतंगबाजी का इतिहास बहुत पुराना है। इसे मनोरंजन का साधन ही नहीं, बल्कि एक खेल और कला के रूप में भी देखा जाता है। भारत में यह परंपरा कई सदियों से चली आ रही है। खासकर पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में बसंत पंचमी और मकर संक्रांति के दौरान पतंग उड़ाने की परंपरा विशेष रूप से निभाई जाती है।
फिरोजपुर का बसंत महोत्सव: पर्यटकों के लिए खास आकर्षण
फिरोजपुर का बसंत पंचमी महोत्सव केवल स्थानीय लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यटकों के लिए भी बेहद आकर्षक होता है। हर साल बड़ी संख्या में लोग इस उत्सव को देखने आते हैं और इस रंगीन नज़ारे का लुत्फ उठाते हैं।
बसंत पंचमी 2025 का उत्सव फिरोजपुर में यादगार बन गया। रंग-बिरंगी पतंगों, उल्लास से भरे माहौल और पारंपरिक पकवानों ने इस त्योहार को खास बना दिया। यह पर्व न केवल खुशियां लेकर आता है, बल्कि हमें प्रकृति के बदलाव और भारतीय संस्कृति से भी जोड़ता है। फिरोजपुर में इस साल का बसंत पंचमी महोत्सव देखने लायक था और लोगों ने इसे पूरी ऊर्जा और उत्साह के साथ मनाया।
अगर आप भी पतंगबाजी और त्योहारों के शौकीन हैं, तो अगली बार फिरोजपुर के बसंत पंचमी महोत्सव का हिस्सा जरूर बनें!
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